नवीन सर्व विद्यालय
सन १९४० में शेठश्री मानचंददास कुबेरदास पटेल ने अपने पिताजी श्री कुबेरदास पटेल की स्मृति में नवीन सर्व विद्यालय की स्थापना की। यह विद्यालय आगे जा कर हायर सेकन्डरी स्कूल बना। श्री मानचंददास वडनगर के सपूत थे और उनका मुंबई में बडा सफल कारोबार था। मूलतः उन्हों ने अनाथ बच्चों के लिए कुबेरवाडी नाम का बॉर्डिंग हाउस बनवाया था।



यह भवन उनके परम मित्र श्री पुरुषोत्तमदास हरिकरण सुथार, जो कि एक नामांकित स्थपति थे, की निगरानी में बना। जब श्री मानचंददास ने इसे विद्यालय में तबदिल करने का निश्चय किया, तब उसका सब कार्यभार श्री पुरुषोत्तमदास को सौंपा।



पहले तो विद्यालय एक वर्ग से शुरु किया गया, लेकिन अगले दस वर्षों में उसे पुर्णतः हाई स्कूल बनाया गया। अनाथ बच्चों के लिये एक अलग भवन का निर्माण किया गया। यह सारी योजना की विशिष्ट बात ये थी कि वह सार्वजनिक थी और उसके किये जरुरी पुरा धन श्री मानचंददास ने अकेले ही दान किया। उन्हों ने ना कभी किसी से मदद मांगी, ना कभी उसके विकास के लिये धन जुटाने में कोई हिचकिचाहट की।

सन १९५४ में श्री मानचंद्दास और सन १९५६ में श्री पुरुशोत्तमदास का निधन हो गया। लेकिन दोनों ने दूरदर्शिता दिखाते हुए अपने निधन से पहले ही विद्यालय की व्यवस्था श्री सुखरामभाई बेचरदास पटेल की अध्यक्षता में बनी एक स्थानिय समिति को सौंप दी थी। उनकी अगवानी में ही विद्यालय को हाय्र सेकंडरी स्कूल का दरज्जा हांसिल हुआ और विद्यार्थीओं की बढती संख्या को समाविष्ट करने हेतु एक नया मकान पुराने भवन के बगल में खडा किया गया। आधे शतक से भी पहले एक वर्ग से शुरु हुआ यह विद्यालय, आज विज्ञान के विद्यार्थीओं के लिये प्रथम पसंद का हायर सेकंडरी स्कूल माना जाता है।



अभी तक यह विद्यालय से शिक्षा पा कर बहुत से विद्यार्थीओं को लाभ पहुंचा है और कितने ही अपने अपने क्षेत्र में बहुत आगे बढे हैं।