मोढेरा का सूर्य मंदिर
सन १०२५-२६ में निर्मित, मोढेरा का सुर्य मंदिर वडनगर के सूर्य मंदिर से कई गुना विशाल है और वह है भी ज्यादा अच्छी स्थिति में। दोनों मंदिरों से सूर्य की मुख्य प्रतिमा गायब है। निर्विवादरुप से मोढेरा का मंदिर वडनगर के मंदिर के बाद बना हुआ है।


मोढेरा का सूर्य मंदिर संकुल तीन अलग अलग हिस्सों का बना हुआ है। समग्र संकुल पुर्वाभिमुख है और पुर्व से पश्चिम दिशा में जाता है। पूर्व में सबसे पहले विशाल सूर्य कुंड है। उस की लंबाई ५३.६ मीटर और चौडाई ३६.६ मीटर है। यह समकोणीय कुंड विभूषित शिल्प से भरी सीढियांवाली दिवारों का बना है। सूर्य कुंड स्वच्छ पानी से भरा रहता था। सुबह के सूर्य प्रकाश में झगमगाता हुआ भव्य मंदिर और उस का विशाल कुंड के पानी में दिखाई देता झिलमिल प्रतिबिंब, पूर्व से आते हुए किसी भी मुलाकाती के सामने एक अदभूत दृष्य खडा करता होगा।

यह संकुल का दूसरा हिस्सा है सभा मंडप। यहां पर विभिन्न प्रकार की धार्मिक प्रवृत्तियां - प्रार्थना, नृत्य और संगीत सभाएं - होती होगी। समग्र संकुल में सभा मंडप बारिक अलंकृत शिल्पों से सब से अधिक प्रचूर है। यहां पर हर एक शिल्प इतना सुंदर है कि उन के शिल्पकारों के कला-कौशल्य पर आश्चर्य होता है। रेतीले पत्थरों में ईतना बारिक और जीवंत शिल्प विश्व में अन्य किसी स्थान पर नही है। पूरा सभा मंडप एक संपूर्ण संतुलित ढांचा है। विश्व में पत्थरों के जो भी सर्जन देखने मिलते हैं, उन में यह सूर्य मंदिर का सभा मंडप गर्व से अपना स्थान बनाये हुए है।

यह संकुल का तीसरा हिस्सा सूर्य का मंदिर स्वयं है। सूर्य के मंदिर के दो भाग है - गर्भ गृह और गूढ मंडप। गर्भ गृह में सूर्य की प्रतिमा हुआ करती थी।


पूरा मंदिर संकुल विभिन्न प्रकार के सुंदर शिल्पों से भरा पडा है। इन में सूर्य देव की अनेक अलग अलग प्रतिमाएं हैं। किंतु इन प्रतिमाओं में, गर्भ गृह के द्वार के ठीक उपर आयी सूर्य को बैठे हुए दिखाती ग्यारह प्रतिमाएं ध्यानाकर्षक हैं। समग्र विश्व में, मोढेरा के सूर्य मंदिर के सिवा, अन्य किसी स्थान पर सूर्य देव को बैठे हुए दिखाती एक भी प्रतिमा नही है। वास्तव में, विश्व में कहीं पर भी सूर्य देव के इतने वैविध्यपूर्ण और इतने सुंदर शिल्प नहीं हैं।

मोढेरा के सूर्य मंदिर के बारे में ज्यादा जानकारी के लीए देखें:
१. सूर्य मंदिर मोढेरा (विजय एम. मिस्त्री, केतन एम. मिस्त्री, और मणीभाई मिस्त्री द्वारा निर्मित और धीरु मिस्त्री और ऋषिराज मिस्त्री द्वारा दिग्दर्शित एक बहुत सुंदर डोक्युमेन्टरी विडियो )
२. मोढेरा लेखक मणीलाल मूलचंद मिस्त्री (श्री सयाजी बाल ज्ञानमाला, १९३५ द्वारा प्रकाशित एक आधिकारिक पुस्तक)