हरप्पा सभ्यता
आज से ६,००० से ७,००० वर्ष पूर्व दख्खन एशिया में सींधु और सरस्वती नदीओं के आसपास के प्रदेशों में हरप्पा सभ्यता का उदय हुआ। भारत के उत्तर-पश्चिम में बहुत विस्तृत प्रदेश में कई हरप्पा नगर विकसित हुए। ईसा के २,५०० पूर्व तक यह नगर अच्छी तरह विकसित हो चूके थे। पाकीस्तान के हरप्पा और भारत के गुजरात में लोथल, गोला धोरो, धोलाविरा, और अन्य जगहों पर हुए व्यापक पुरातात्त्विक उत्खनन से ऐसे लोगों की बात सामने आयी है कि जिन्हों ने उन्नत जीवन-शैली का विकास किया था।
सुमेर, बेबिलोनिया, और इजिप्त जैसी अन्य पुरानी सभ्यताओं से विपरित, हरप्पा संस्कृती ने सामान्य प्रजाजन को केन्द्र में रख कर विकास किया था। उसने ऐसी व्यवस्था और साधनों का सृजन किया कि जिससे लोगों का जीवन ज्यादा आरामप्रद, तंदुरस्त, और सुखी बन सके। उसने राजवीओं के लिये भव्य प्रासाद, मंदिर, और कब्रों का निर्माण न करके, अपने नागरिकों के लिये निर्मल पेय जल उपलब्ध हो सके इस लिये अप्रतिम व्यवस्था का निर्माण किया। हरप्पा सभ्यता के नगरों में, आज के मापदंड से नापी जाये तो भी, एकदम आधुनिक लगे ऐसी दूषित पानी के निकाल की व्यवस्था बनायी गयी थी। उसने अपने नागरिकों को सार्वजनिक स्नानागार, अपने बच्चों को विधविध शिक्षाप्रद खिलौने, और अपनी महिलाओं को सुन्दर गहनें प्रदान किये।