शर्मिष्ठा

प्राचीन समय में शर्मिष्ठा एक प्राकृतिक सरोवर था। वह कपिला नदी के पानी से भरा रहता था। आज से ४,५०० साल पहले, उसके दक्षिण-पूर्व किनारे पर प्रथम मानव-वसाहत शुरु हुई थी। कुछ एक शतक के बाद यहां एक नगर सा बस गया। सरोवर के किनारे पत्थरों से बांधे गये। उसमें पानी का बहाव नियंत्रित करने हेतु उत्तर दिशा में एक पत्थर का पक्का कुंड बनाया गया। कपिला नदी का पानी पहले पूर्व दिशा के एक नाले से यह कुंड में बहाया जाता था। कुंड भरने पर पानी को दक्षिण दिशा के दूसरे नाले के जरिये सरोवर में छोडा जाता था। इस प्रकार की स्थापत्य कला के कारण वर्षा ऋतु में जब कपिला नदी में पानी का बहाव तेज हो जाता था, तब उसकी तेज गति सरोवर के किनारे को कोई नुकसान नही पहुंचाती और किनारे पर के मकान सुरक्षित बने रह्ते थे। यह कुंड के दोनों नाले पानी के बहाव के लिये खोल-बंद किये जा सकते थे। इस कुंड का नाम नागधरा पडा। शायद कपिला के बहाव में बहुत से सांप आ कर यह कुंड में फंस जाते होगे। आज तक नगर के लोग नाग-पंचमी के दिन यहां आ कर नाग-देवता की पूजा-अर्चना करते हैं और उस दिन यहां मेला भी लगता है।

नागधरा
शर्मिष्ठा सरोवर का सारा संकुल - सरोवर, केन्द्र में आया हुआ बेट, सरोवर के तल पर भूतल में पानी उतारने के लिये बनाये गये कुएं, पत्थरों से बंधे किनारे, नागधरा, पानी के बहाव के नाले, कपिला से निकाली गयी नहर, और सरोवर में जरुरत से ज्यादा पानी भर जाने पर उसे बाहर-निकाल करने का रास्ता - इस नगर के स्थपतियों के उंचे कौशल्य का अप्रतिम नमूना है। जब सरोवर में पानी भरा होता है तब उस के तल पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाये गये कुंए नही दिखाई देते। इन कुओं से जमीं में जो पानी उतरता है वह भूगर्भ में झरने पैदा करता है। नगर में आये हुए कुएं इसी झरनों से आये हुए शुध्ध पानी से भरे रहते थे। जब कभी वर्षा कम होती या नही होती तब सूखे के समय में सरोवर में पानी नही रहता। ऐसे वक्त, सरोवर के इन कुओं का पानी बहुत काम आता था।
आज तो पुरा संकुल बिस्मार हालत में है। अभी के वर्षों में उसके दक्षिण किनारे किया गया कुछ आधुनिक बांधकाम सरोवर की प्राचीनता के अनुरुप नही लगता। जरुरत इस बात की है कि सारे संकुल के बारे में पूरी तरह सोच-समझ कर उसकी प्राचीनता बनाये रखते हुए पुनःनिर्माण किया जाये। अद्वितिय पुरातत्त्वीय महत्त्व रखनेवाले स्थलों के पुनःनिर्माण के बारे में हम विश्व के अन्य स्थलों पर चलायी गयी पुनःनिर्माण की योजनाओं से बहुत कुछ सीख सकते हैं।


शर्मिष्ठा से जुडी बहुत सारी कथाएं हैं। महाभारत में ययाति की जो बात कही गयी है, और उसमें जिस सरोवर का जिक्र है वही क्या यह शर्मिष्ठा है?