कपिला नदी


कपिला नदी शायद ऐसी दिखती होगी

कपिला नदी वडनगर के पुराने भूतकाल से जुडी हुई है। आज से 4,500 वर्ष पूर्व इस नदी के तट पर पहली मानव वसाहत बनी होगी। नदी का उदगम स्थान अरवल्ली की पर्वतमाला में था। उस वक्त यह क्षेत्र वनों से एकदम हरा था। वह कोई बहुत बडी नदी नही थी, लेकिन वह एक बारमासी नदी जरुर थी। उसके रास्ते में उससे कई छोटे-बडे सरोवर बने हुए थे। ऐसा ही एक सरोवर शर्मिष्ठा था। यहां नदी और सरोवर के तट पर जीवन और संस्कृती पलें। यहीं पर याज्ञवल्क्य ऋषि का नगर चमत्कारपुर बसा हुआ था।
आजकल तो कपिला नदी अदृश्य हो चूकी है, लेकिन सन १९५० तक वह कम से कम वर्षा ऋतु में तो यहां अवश्य बहा करती थी। लुप्त हो चूकी सरस्वती नदी के बारे में पिछले कुछ सालों से वैज्ञानिकों में जो जिज्ञासा उत्पन्न हुई है, उसको लेकर पचिम भारत की लुप्त हुई नदीयों के बारे में वैज्ञानिक संशोधन हुए हैं। सेटेलाईट से खींची गयी तस्वीरों ने प्रमाण दियें हैं कि कुछ हजार वर्ष पूर्व इस प्रदेश की धरती पर की परिस्थिती और यहां का हवामान आज से काफि भिन्न प्रकार के थे। आज की तरह यह प्रदेश इतना सूखा नही था, बल्कि यहां घने जंगल और बहुत सारे नदी-नाले थे।